स्कूल में दबंग ने किया क़ब्ज़ा , 3 कमरों में संचालित माध्यमिक स्कूल ग्रामीण अंचलों में सरकारी स्कूलों की स्थिति बद से बदतर, जिम्मेदार सो रहे कुम्भकरनी नींद
सरकार भले ही शिक्षा के क्षेत्र मे सुधार के दावे कर रही है और शिक्षा मे सुधार करने नित नए प्रयोग भी कर रहीं हो लेकिन सरकार के सभी दावे और वादे सिर्फ हवा हवाई ही नजर आते है l खासतौर पर अगर बात की जाए ग्रामीण अंचलों की तो वहाँ का हाल देख कर समझ मे आ जाता है कि अखिर लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलो मे पढ़ने के लिए क्यों नहीं भेजते l स्कूलो मे शिक्षक तो है पर बच्चे ही नहीं अब आप समझ ही गए होंगे कि सरकार का कितना पैसा व्यर्थ में बर्बाद हो रहा है ।
इस स्कूल की हालत बाद से बदतर शिक्षिका आती हैं अपने समय से
शासकीय प्राथमिक विद्यालय पटहट (Govt school) कला में शिक्षिका (Teacher) किरण पांडे की लापरवाही आए दिन सामने आ रही है इनका आने का समय 12:00 बजे से 2:00 बजे के बीच है ज्यादातर यह 2:00 बजे आती हैं और 4:00 बजे वापस लौट जाती हैं । यही हाल जिला मुख्यालय से 15 कि मी दूर स्थित मरहा स्कूल (Maraha school) का है जहां बच्चों को मध्यान भोजन में सिर्फ चावल दाल दिया जाता है और यहां महज 3 कमरों में ही 8 वीं तक के बच्चों को शिक्षा दी जाती है और ऐसा भी नहीं है कि जिम्मेदारों को इसकी खबर नहीं है l इतना ही नहीं मुख्यालय से लगे महज 4 कि मी दूर संचालित जेरुका स्कूल के हाल और भी बद से बदतर मिले, यहां शिक्षक (Teacher) तो हैँ पर बच्चे नहीं l एक क्लास में दो बच्चे तो कहीं एक ही बच्चा पढता नजर आया वहीं शिक्षा का स्तर ऐसा कि बच्चों को अपना नाम तक नहीं मालूम . य़ह सब देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि सायद जिम्मेदार कुम्भकरनी नींद में सोये हुए है ।
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