मध्य प्रदेश सरकार की वो योजना जो कभी सफल नहीं हुई

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मध्य प्रदेश सरकार की वो योजना जो कभी सफल नहीं हुई

जुलाई अगस्त 2015 में एक प्रावधान लाया गया था जिसके अनुसार आंगनबाड़ी केंद्रों में दूध रोजाना दिया जाएगा, दो-चार महीने बस मिला।

मार्च जुलाई 2022 में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों से पोषण आहार देने का वादा किया गया था लेकिन व्यवस्था को उसे वक्त तकनीकी रूप से उन्नत किया जा रहा था।

अप्रैल में 2022 में सभी आंगनबाड़ी केदो में पारदर्शी डब्बों में लड्डू, नमकीन ,मठरी भुना चना, गुड़ आदि देने का प्रावधान लाया गया था पर यह इतना पारदर्शी था कि सामान्य आंखों से देखा नहीं जा सकता था।

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा एक और बहुत महत्वपूर्ण कदम उठाया गया जिसमें आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति पानी, शौचालय, वजन की मशीन इन सब की जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध होती थी पहले यह भी देखा जा सकता था कि आंगनबाड़ी केंद्रो में कितने बच्चे माध्यम या अति गंभीर तीव्र कुपोषित हैं । जिसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन खरीद कर दिए गए।

मध्य प्रदेश में विकेंद्रीकरण करने के दौरान 97 हजार आंगनबाड़ी केंद्रो को साथ कारखाने ने टेक होम राशन भेजा जाता था लेकिन कुछ दिनों बाद इसका परिणाम सिंगरौली में नजर आया जहां नवानगर थाना क्षेत्र की एक दुकान से 12 बोरी पोषण आहार लगभग 480 पैकेट बरामद हुआ।

वर्तमान में मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के मुताबिक 35.7 प्रतिशत बच्चे ठिगनेपन का शिकार है(कोई शिशु ठिगनेपन का शिकार तभी होता है जब उसका परिवार और समुदाय पीढ़ी दर पीढ़ी कुपोषण से ग्रस्त हो और खाद्य असुरक्षा में रहता हो)

15 सितंबर 2022 की एक अध्ययन के अनुसार मध्य प्रदेश के रीवा संभाग के एक आंगनबाड़ी की वास्तविकता यह है कि इस आंगनवाड़ी केंद्र में 6 माह से 36 माह आयु के 62 बच्चे दर्ज हैं, जिन्हें नियम अनुसार हर महीने पोषण आहार (टेक होम राशन) के चार-चार चार्ट में पैकेट पोषण आहार मिलना चाहिए था लेकिन केंद्र पर 45% पोषण आहार कम पहुंच रहा है जनवरी से अगस्त 2022 की अवधि में यहां 1984 पैकेट पोषण आहार मिलना चाहिए था लेकिन वास्तविकता यह है कि यहां सिर्फ 1080 पैकेट ही पहुंचाया गया फरवरी मार्च और अप्रैल महीना तो तो ऐसा रहा जहां एक भी पोषण आहार का वितरण नहीं किया गया यह बस एक बानगी है ऐसी स्थिति मध्य प्रदेश में सर्वव्यापी है।

राज्य व्यवस्था की भूमिका और मध्य प्रदेश में कुपोषण से यह तो साफ हो ही जाता है कि पोषण सुरक्षा को पोषण से मुक्त नीति से ज्यादा नियत और नैतिकता का विषय है पोषण आहार का आंगनबाड़ी तक न पहुंचना खराब गुणवत्ता का पोषण आहार और क्वेश्चन आहार की स्थिति में निगरानी की लापरवाही से और जानकारी के आंकड़ों से सार्वजनिक पटल से हटाए जाने की पहल से यह साबित हो ही जाता है कि मध्य प्रदेश में कुपोषण का एक खेल खेला जा रहा है जिसमें निजी और शासन व्यवस्था खिलाड़ी है और बच्चे खिलौने….।

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