विंध्य के सबसे बड़े अस्पताल की बदहाली का कौन है जिम्मेदार ?

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विंध्य के सबसे बड़े अस्पताल की बदहाली का कौन है जिम्मेदार ?

मरीजों  को स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कांग्रेस शासनकाल में विंध्य के सबसे बड़े अस्पताल का निर्माण वर्ष 1963 में कराया गया था जिसका नाम स्वर्गीय संजय गांधी के नाम पर रखा गया था। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद संजय गांधी अस्पताल की हालत ऐसी खराब हुई कि आज तक नहीं सुधरी अस्पतालों से अधिकांस चिकित्सकों ने ट्रांसफर ले लिया। मशीनों की हालत बद से बत्तर होती गई और अस्पताल का नियंत्रण शासन के हाथों से फिसल गया। रीवा जिला प्रशासन तक संजय गांधी अस्पताल की अवस्थाओं को दूर करने में सफल नहीं हो पाया।

ज्यादातर चिकित्सकों का काम अस्पताल में मरीज से अभद्र व्यवहार के लिए जग जाहिर है। इसकी वजह कुछ और नहीं बल्कि पैसा है सरकार से मोटी रकम लेने के बावजूद अपना प्राइवेट क्लीनिक खोल कर रखे हैं और अपने आवासों पर निजी प्रैक्टिस करते हैं। आए दिन मरीजों के उपचार में लापरवाही के लिए संजय गांधी अस्पताल की पहचान बन गई है अपने कक्ष में शानदार बिस्तर लगाकर आराम पसंद करने वाले सीएमएचओ यहां पहुंचने वाले मरीजों के परिजनों से अभद्रता पूर्वक बात करने के लिए जाने जाते है।

संजय गांधी अस्पताल में परिजनों को लूटने का कारोबार मास्टरमाइंड तरीके से किया जाता है सरकार भले ही तमाम तरह की सुविधा उपलब्ध करा दे पर संजय गांधी अस्पताल में बिना नजराना उपचार की कल्पना करना तक बेमानी साबित होता है अस्पताल परिसर में अवैध वसूली का नजारा बखूबी देखने को मिलता है।

ये सभी आरोप आए दिन होने वाली घटनाओं से सही साबित हो रहे हैं ऐसी ही एक घटना मध्य प्रदेश के मऊगंज में हुई जहां एक झोलाछाप डॉक्टर ने एक महिला मरीज के घर जाकर उसके पेट का ऑपरेशन कर दिया और उसके गर्भाशय से आंत का बाहर निकलना और उसकी मौत हो गई जिसके बाद आरोपी डॉक्टर कैची और ब्लेड वहीं छोड़कर फरार हो गया ।

वही 5 मई 2023 की खबर के अनुसार संजय गांधी अस्पताल के आईसीयू वार्ड में शॉर्ट सर्किट के चलते आग लग गई आग लगने की वजह बताई गई थी घटनास्थल में काफी मात्रा में कूड़ा कचरा भरा हुआ था। जहां पर शॉर्ट सर्किट हुआ तो कचरे ने आग पकड़ ली जिससे पूरे आईसीयू वॉर्ड में धुंआ भर गया ,कई घंटों तक इस पर कोई भी जांच नहीं हुई और करीब 1:30 बजे तक अस्पताल की लाइट बंद रही जिसके कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा था।

वही संजय गांधी अस्पताल की एक फर्जी वेबसाइट का मामला भी 3 महीने पहले सामने आया था जहां जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र का काला चिट्ठा खोला गया… खबर के मुताबिक फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र संजय गांधी स्मृति हॉस्पिटल के नाम की सील सहित दिए जा रहे थे जिसके तीन केसों के बाद अमहिया थाने में एफआईआर दर्ज कराते हुए कार्रवाई की गई।

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