मध्य प्रदेश में पटवारियों के बाद अब ये कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हुए लामबंद
मध्य प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में संचालित रोजगारोन्मुखी, स्ववित्त पाठ्यक्रम जिनमें प्रदेश के अधिकांश विद्यार्थी उत्साह के साथ प्रवेश लेकर अध्ययन कर रहे है उन विषयों के साथ परंपरागत पाठ्यक्रमों में अध्यापन कार्य करने वाले जनभागीदारी मद से नियुक्त जनभागीदारी / स्ववित्त अतिथि विद्वानों ने अब पटवारियों के बाद लामबंद हो गए हैं उनकी कुछ मांगें हैं जो सरकार ने वादे के मुताबित उनको सुविधाएँ नहीं दे रही है।
इनकी मांगें मांग है इनकी नियुक्ति उच्च शिक्षा विभाग द्वारा तय किए गए मापदंडों के अनुसार हुई है, परंतु इनका वेतनमान एवं कार्यकाल रिक्त पदों पर कार्यरत अतिथि विद्वानों से भिन्न ।
इनकी ये रही मांगें
1 रिक्त पदों पर कार्यरत अतिथि विद्वानों के लिए माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा बुलाई गई महापंचायत में की गई घोषणाओं एवम जारी किए जाने वाले नियम एवम निर्देशो को जनभागीदारी स्ववित्तअतिथि विद्वानों पर भी लागू किया जाए।
2. जनभागीदारी स्ववित्तीय अतिथि विद्वानों का कार्यकाल (12 माह) एवम वेतनमान रिक्त पदों पर कार्यरत अतिथि विद्वानों के समान किया जावे।
3. लोक सेवा आयोग आयोग द्वारा आयोजित सहायक प्राध्यापक चयन परीक्षा में जनभागीदारी स्ववित्त द अनस से पढ़ाने वाले अतिथि विद्वानों के अनुभव अंक भी मान्य (सम्मिलित) किए जाने का आदेश जारी किया जाए।
4. स्ववित्त पाठ्यक्रमों के साथ परंपरागत पाठ्यक्रमों में वर्तमान समय में जनभागीदारी मद से नियुक्त अतिथि विद्वानों के लिए पद सृजित कर उन पदो पर वर्तमान में कार्यरत जनभागीदारी स्ववित्तीय अतिथि विद्वानों को अधिगृहित कर सृजित पदों पर केवल उन्हें ही नियुक्ति प्रदान की जावे।
5. जनभागीदारी स्ववित्त अतिथि विद्वानों को योग्यता के आधार पर भेद न करते हुए वेतनमान दिया जावे।
6. जनभागीदारी स्ववित्त अतिथि विद्वानों के लिए श्रम कानूनों के पालन हेतु महाविद्यालयों को निर्देश दिया जाए
7. जनभागीदारी स्ववित्त अतिथि विद्वानों की समस्याओं के समाधान के शासन स्तर पर एक कमेटी का गठन किया जावे।
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