कलेक्टर प्रतिभा पाल के 1 आदेश से किताब व्यापारियों में मचा हड़कंप
कलेक्टर प्रतिभा पाल: कल जिला प्रशासन ने काफी हिम्मत कर एक बुक डिपो में छापा मारा और उसे सील कर दिया गया जबकि इस बुक डिपो सहित अन्य बुक डिपो की हर वर्ष लोग शिकायत करते थे लेकिन कार्यवाही कभी नही होती थी।
इसमें बुक डिपो के साथ प्राइवेट स्कूल वालो पर भी कार्यवाही होनी चाहिये क्योंकि यह पूरा खेल कमीशन का है जिसमे स्कूल प्रबंधक और बुक डिपो वाले मिलकर अभिवावक को लूटते है।
ड्रेस टाई जूते मोजे के लिये कपड़ो की दुकान से स्कूल वाले मिलकर महंगे दामो में कमीशन के लालच में बिक्री करते है
सूत्रों के अनुसार किताबो में 50 प्रतिशत से ऊपर का कमीशन होता है और ये स्कूल और बुकसेलर मिलकर अधिक से अधिक किताबे लगाकर अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर मे बच्चो पर किताबो का बोझ और इनके माता पिता की जेब पर बोझ बढ़ाते है।
स्कूल और बुकसेलर मिलकर हर साल किताबे बदल देते है जिससे बच्चो को हर साल किताबे खरीदनी पड़ती है जिससे इनका कमीशन और मुनाफा हर साल बना रहता है
चाहिए यह कि पूरे देश मे सभी स्कूलों में एक ही किताबे लगनी चाहिये भाषा अलग हो पर किताबे एक ही होनी चाहिये जिससे कमीशन का खेल भी बंद होगा स्कूल वालो की मनमानी बंद होगी बच्चे भी एक दूसरे से किताबे अदल बदल सकेंगे और बच्चो के माता पिता पर आर्थिक बोझ भी कम होगा। किताबे सभी बुक सेलर के यहां सरलता से मिलनी चाहिये ताकि उपभोक्ता अपनी मर्जी से कही से भी किताबे खरीद सके।
अब देखना यह है कि अभी और कितने किताब वालो के यहां जैसी कार्यवाही होती है और कितने कपड़े वालो के यहां जिला प्रशासन पहुँचता है कितने प्राइवेट स्कूल में जिला प्रशासन पहुँच कर सरकार के आदेश के अनुसार बच्चो के बैग व किताबो का वजन करते है।आगे ऐसे ही आम जनता लुटती रहेगी या इस व्यवस्था से मुक्ति मिलेगी यह आने वाला समय बतायेगा।