Ayodhya Ram Mandir:अयोध्या में राम भक्तों के साथ हुई 1990 की हिंसक घटना आप को रुला देगी
Ayodhya Ram Mandir: यह कहानी है राम भक्त राम कुमार कोठारी (23 साल) और उनके छोटे भाई शरद कोठारी (20 साल) की जो अपने रामलला के लिए कोलकाता से 22 अक्टूबर को रवाना हुए और काशी पहुंचे 200 किलोमीटर की पैदल पैदल यात्रा करने के बाद वह 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचे जहां कारसेवकों की रैली हो रही थी।
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साधु संतों और कारसेवकों ने 11:00 बजे सुरक्षाबलों की उस बस को काबू कर लिया जिसमें पुलिस ने कार सेवकों को हिरासत में लेकर शहर के बाहर छोड़ने के लिए रखा था इन बसों को हनुमानगढ़ी मंदिर के पास खड़ा किया गया था इसी बीच एक साधु ने बस ड्राइवर को धक्का देकर नीचे गिरा दिया इसके बाद वह खुद ही बस की स्टेरिंग पर बैठ गया बैरिकेडिंग तोड़ते हुए बस विवादित परिसर की ओर तेजी से बढ़ी बैरिकेडिंग टूटने से रास्ता खुला तो 5000 से ज्यादा कारसेवक विवादित स्थल तक पहुंच गए।
21 अक्टूबर से 30 अक्टूबर 1990 तक अयोध्या में लाखों की संख्या में कारसेवक समाधि स्थल की ओर जाने की तैयारी में जुटे थे..विवादित स्थल के चारों तरफ भारी सुरक्षा थी अयोध्या में लगे कर्फ्यू के बीच सुबह करीब 10:00 बजे चारों दिशाओं से बाबरी मस्जिद की ओर कारसेवक बढ़ने लगे इनका नेतृत्व कर रहे अशोक सिंघल उमा भारती विनय कटियार जैसे नेता विवादित स्थल के चारों तरफ और अयोध्या शहर में यूपीएससी के करीब 30 हज़ार जवान तैनात किए गए थे ।
इसी दिन बाबरी मस्जिद के गुंबद पर शरद (20 साल) और रामकुमार कोठारी (23 साल) नाम के दोनों भाइयों ने सर्वप्रथम मस्जिद के शीर्ष पर चढ़कर भगवा झंडा लहराया था । 2 नवंबर को दिन में कारसेवक हनुमानगढ़ी में बैठकर शांति से भजन कर रहे थे तभी अचानक से सुरक्षाबलों ने उन पर गोलियां बरसाना शुरू कर दिया ऑर्डर लखनऊ से मुलायम सिंह ने दिए थे जिसके बाद अपनी सुरक्षा के लिए उन्होंने बाद में मजिस्ट्रेट से हस्ताक्षर लिए थे।
जनसत्ता अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक एक राम भक्तों को जब गोली लगी तो उसने अपने खून से सड़क पर ‘सीताराम’ लिख दिया और जमीन पर गिर गया बावजूद इसके एक सिपाही ने उसके सर पर 7 बार गोली मारी..कोठारी भाइयों को दिगंबर अखाड़े से घसीट कर निकाल कर मारा गया।
इसके बावजूद नरसिम्हा राव और मुलायम सिंह यादव ने बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरने के बाद एक बयान में कहा था कि हम मस्जिद दोबारा बनवाएंगे। ढांचा गिरने के बाद जब 1993 में यूपी में चुनाव हुआ तब अपोजिशन पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह ने एक नारा उठाया था जिसमें कहा गया था ‘मिले मुलायम कांशीराम हवा में उड़ गए जय श्री राम’ ।
इन घटनाओं के विवरण से साफ पता चलता है कि किस बर्बरता से निहत्थे राम भक्तों पर गोलियां चलाने के आदेश दिए गए जिसका मकसद घायल करना या भीड़ को हटाने के लिए नहीं बल्कि राम भक्तों की हत्या से था राम भक्तों के लिए नफरत और समुदाय विशेष के चंद वोटों के लिए किया गया यह गोलीकांड और एक धर्म का अपमान आज भी लोगों के जहन में बसा हुआ है ।